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दुनिया में कई मुस्लिम देश हैं जहां पर शरीयत का कानून चलता है. और इस कानून के आधार पर दोषियों को अमानवीय और क्रूर सजाएं दी जाती हैं. व्यभिचार के दोषियों को पत्थर मार कर ह्त्या की जाती है. इसे अरबी में रज्म الرجم या  “Stoning to Death” भी कहा जाता है ..
वैसे तो मुसलमान दावा करते हैं कि वह हरेक काम कुरान के आदेशों के अनुसार करते है. और केवल कुरआन के आदेशों को ही महत्त्व देते हैं , किसी और के आदेश को नहीं मानते .
कुरान में” रज्म “के बारें में एक भी आयात नहीं मिलती है. और नाही रज्म का कहीं उल्लेख है. यह मुल्लों के दिमाग की उपज है. क्योंकि मुसलमान व्यभिचार में हमेशा औरतों को दोषी ठहराते है. इस्लाम एकमात्र कुधर्म है, जो बलात्कार को जायज और व्यभिचार के झूठे आरोप पर भी कठोर सजा देता है.
कुरान में रज्म की आयतें (आदेश ) न होने के निम्न कारण है –  
1 -कुरान सम्पूर्ण (Complete) नहीं है —
शिया लोगों का विश्वास है मौजूदा कुरान पूरा नहीं है, इसमे रद्दोबदल किया गया है. कई सूरा और आयतें कम कर दी गयी, और बदल दी गयी है. मुहम्मद के वंशज इमाम जाफर सादिक ने अपनी किताब “उसूले काफी” में जो लिखा है इस प्रकार है. यह शिया लोगों की हदीस है –
“इमाम जफ़र सादिक ने कहा कि जिब्राइल ने रसूल को जो कुरान दी थी, उसमे 17000 आयतें थीं. और मौजूद कुरान में सिर्फ 6666 हैं.
उसूले काफी -पेज 671”.
“इमाम जफ़र ने कहा कि, रसूल के इंतकाल के बाद खलीफा उस्मान और अबू बकर ने कुरान में कमोवेशी कर दी थी. और कुरान का दो तिहाई हिस्सा गायब कर दिया था. – उसूले काफी -फासले ख़िताब.पेज 70”.

2 – कुरआन का संकलन — 
पूरा कुरान 23 सालों में थोडा थोडा जमा होता गया था. जिसे मुहम्मद अपने लेखक  “कातिबكاتب”  या Scribner से लिखवा लेता था मुहमद के लेखक का नाम  “जैदबिन साबित زيد بن ثابت था. जो कुरान के हिस्सों को पत्तों, झिल्लिओं, चमड़े, और कागजों पर लिख लेता था. कभी मुहम्मद अपने दामाद अली से लिखवा लेता था. कुरान की एक मूल प्रती मुहमद अपनी पुत्री  ‘फातिमा’ के घर रख देता था. इस कुरान को शिया लोग असली कुरान या “मुसहफ़ ए फातिमा مصحف فاطمه कहते हैं. यही असली कुरान था. और मौजूद कुरान से तीन गुना बड़ा था.
मौजूदा कुरान में 114 सूरा Chapters, 6666 आयतें Verses और  77934 शब्द हैं. और अरबी के कुल 323671 अक्षर हैं.
3 – मुहम्मद भूल जाता था —
“जिद बिन साबित ने कहा कि, जिस समय कुरान की आयतें जमा की जा रही थी, तो रसूल सूरा अहजाब 33 की आयतें भूल गए थे. जो लिखने से रह गयी. बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 60.
“इब्राहिम ने कहा की रसूल को सारी आयतें याद नहीं थी, वह भूल जाते जाते थे. बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 468.
“आयशा ने कहा कि रसूल की याददाश्त कमजोर थी. वह सौ आयातों से साठ आयतें भूल जाते थे. उनको एक आदमी बताता था कि कौन सी आयत किस जगह होनी चाहिए. बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 558.
मुहम्मद ने यहूदियों की किताबों में देखा था कि तौरेत में व्यभिचार की सजा “रज्म” लिखी है. इसलिए वह कुरआन में भी यही लिखवाना चाहता था. यह बात हदीसों से साबित होती है –
4 -रज्म की सजा तौरेत (बाइबिल) में है — 
“उमर ने कहा कि रसूल ने रज्म की आयत तौरेत में देखी थी. क्योंकि व्यभिचार की सजा तौरेत में रज्म लिखी है. बुखारी -जिल्द 8 किताब 82 हदीस 809.
बाइबिल में रज्म के बारे में यह लिखा है – 
“यदि कोई व्यभिचार करे, या दूसरे कि स्त्री के साथ सोये, तो वह स्त्री और पुरुष दोनों को पत्थर मर कर मर डाला जाये. और नगर के बाहर के फाटक के पास उन पर पत्थरवाह किया जाये. व्यवस्था 22 आयत 21 से 23.

व्यभिचारी और व्यभिचारिणी निश्चय मारे जाएँ. पुराना नियम – लेवी 20 :10.

5 – मुहम्मद ने रज्म की आयतें बनायी थीं —
“आयशा ने कहा कि रसूल ने रज्म यानी पत्थर से मरने की सजा की आयातों एक कागज के तुकडे पर लिखवा कर रख ली थी. वह इन आयातों को “रजः कबीरः” कहते थे. और कुरान में जुड़वाना चाहते थे. बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 285.
“इब्ने अब्बास ने कहा कि, रसूल चाहते थे कि, जिना करने वालों को “रज्म” की सजा देना उचित होगा. और वह इन आयातों को कुरान में शामिल कराना चाहते थे. बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 514.
“उमर बिन खत्ताब ने कहा कि, रसूल चाहते थे कि, कुरान में रज्म की वह आयतें जोड़ दी जाएँ, जो उन्होंने तौरेत (bible old testament) में देखी थीं. बुखारी -जिल्द 8 किताब 86 हदीस 9 और बुखारी -जिल्द 4 किताब 82 हदीस 820.
6 – रज्म की आयतें खो गयीं — 
“आयशा ने कबूल किया कि रज्म की जो आयतें थी, वह मेरी गलती से खो गयी थी. और उसके साथ दूसरी आयतें भी थीं जो खो गयी थी” –
बुखारी -जिल्द 8 किताब 52 हदीस 299.
“सौदा ने कहा कि रज्म कि आयतें खो गयी थी, और खोजने पर भी नहीं मिली. बुखारी -जिल्द 3 किताब 34 हदीस 421.
“इकरिमा ने कहा कि, रज्म की आयतें कुरान में जुड़वाने के लिए रसूल ने एक कागज पर लिखवा कर रखी थी लेकिन बाद में वह आयतें खो गयी. बुखारी -जिल्द 9 किताब 93 हदीस 613.
“आयशा ने कहा कि, रज्म की आयतें और आयत ऱजअत दौनों आयतें लिखी गयी थी लेकिन वह खो गयी थी” –  बुखारी-जिल्द 8 किताब 82 हदीस 824. और बुखारी -जिल्द 8 किताब 82 हदीस 842.
“खुजैमा ने कहा की, जब कुरआन को जमा किया जा रहा था, तो रज्म की आयतिं को लिखने पर ध्यान नहीं रखा गया. और वह आयतें कुरान में शामिल नहीं हो सकीं. बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 829.
“अम्र बिन मैमून ने कहा की, जब उमर कुरआन की आयातों को जमा कर रहे थे तो, लोगों से बोले की, ऐसा लगता है क़ि कुरान की कुछ आयतें खो गयी हैं, या गायब हो गयी हैं. बुखारी- जिल्द 6 किताब 61 हदीस 529.
साद बिन अबी वक्कास ने कहा क़ि, आयशा ने कहा क़ि, जब रसूल ने अपना कुरता उतारा तो उसकी बाँहों से रज्म क़ि आयतें गिर गयी थीं , और मैंने धयान नहीं रखा, बुखारी -जिल्द 2 किताब 23 हदीस 413.
7 – आयतें कहाँ गयीं —
“अल तबरी ने कहा के, कुरान की सूरा अहजाब (सूरा संख्या 33) आयत 23 के बाद की और आयतें भी थी जो खो गयी, और खोजने पर भी नहीं मिली. बुखारी – जिल्द 4 किताब 52 हदीस 62.
“ज़ैद बिन साबित ने कहा क़ि, जब मैं कुरान की सभी आयतें जमा कर रहा था, तो कुरान की सूर अहजाब की बहुत सी आयतें नहीं मिली. वह खो गयी थी. बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 52 हदीस 60.
8 – बकरी कुरआन खा गयी —
“सौदा (मुहम्मद की पत्नी) ने कहा कि, रज्म की आयातों के साथ जितनी भी आयतें कागजों पर (पत्तों) पर लिखी रही थीं, वह नहीं मिली . पता चला कि वह आयतें दो बकरियों ने खा लिया था. जो अचानक घर में आ गयी थी. बुखारी – जिल्द 3 किताब 34 हदीस 421.
“आयशा ने कहा कि, रसूल ने रज्म की आयतों के साथ जो आयतें रखने को दी थीं, उनको मैंने तकिये के निचे रख दिया था. वह नीचे गिर गयी थीं, उसी वक्त दो बकरियां घर ने घुस गई और वह आयतें खा गई, सुन्नन इब्ने माजा – किताब निकाह – हदीस 1934.
9 -बकरियां 200 आयतें खा गयीं —
“अनस बिन मालिक ने कहा कि, बकरियां कुरान की 200 आयतें खा गयी थी. मुस्लिम – किताब 4 हदीस १३३७.
“बकरियां 200 आयतें खा गयी थीं, जिनमे सुरा अहजाब की रज्म की आयतें भी थी. सूरा अहजाब में सूरा बकरा के बराबर आयतें थीं”.
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 522.
10 -कुरान फिर से लिखा गया —
“अनस बिन मालिक ने कहा कि “हुदैफा बिन यमन” उस्मान के पास गया और बोला कि, लोग कुरान को अलग अलग 6 प्रकार से पढ़ा रहे हैं जिनमें काफी अंतर है. हरेक प्रान्त में कुरान की अपनी अपनी प्रतियाँ है. जो एक दूसरे से अलग हैं, उस्मान ने जिद बिन साबित, अब्दुल्ला बिन जुबैर, और सईद बिन अल आस से कहा की कुरआन की सभी प्रतियोंको जमा करवाओ. जिसके पास भी कुरान का कोई हिस्सा या आयत मिले मेरे पास लाओ. फिर उस्मान ने आदेश दिया कि कुरान को उसी प्रति के अनुसार कुरेश के कबीले की बोली में दोबारा लिखो. और कुरान में वही आयतें रहने दो जो हफ्शा (मुहम्मद की पत्नी) की प्रति में हैं. जो रसूल हफ्शा के पास रख देते थे. फिर उस्मान ने कहा क़ि इसके आलावा कुरान के जो भी हिस्से किसी पास मिलें, उनको जला डालो. अनस ने कहा क़ि इसके कारण कुरान की सूरा अहजाब की 215 आयतें कम हो गयी थीं”. — बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 514.
अब मुसलमान जवाब दें कि, जब कुरान में व्यभिचार के दोषियों को पत्थर मार कर ह्त्या करने (Stoning to Death) आदेश या आयात नहीं है, तो मुस्लिम देश यह सजाएँ क्यों देते है ?
मुहम्मद जैसे ज़ालिम से तो ईसा मसीह कई गुना अच्छे थे. वह भी रसूल थे. उनका इसी विषय पर दिया गया फैसला देखिये – 
“यीशु के पास लोग एक स्त्री को लाये जिस पर व्यभिचार का आरोप था. लोगों ने पूछा प्रभु क्या हम इस स्त्री को पत्थर मारें. यीशु ने कहा कि तुम में से पहिला पत्थर वह मारे, जिसने जीवन में कोई पाप नहीं किया हो, फिर यीशु ने उस स्त्री से कहा मैं तुझे सजा दने की आज्ञा नहीं देता . जा अपने घर जा. फिर दोबारा पाप न करना. बाइबिल. नया नियम – यूहन्ना -अध्याय 8 आयत 1 से 11 तक.
मुसलमानों को शर्म आना चाहिए मुहम्मद जैसे व्यक्ति को अलह का रसूल कहते है. उसे तो लोग मनुष्य भी नहीं मानेंगे. मुहमद तो ईसा मसीह के पैरों कि धुल के बराबर ही नहीं है.