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विडियो :जानिये क्या हैं स्त्री “खतना” और कैसे होता है।

विडियो :जानिये क्या हैं स्त्री “खतना” और कैसे होता है।

1 week ago

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खतना क्या है, कैसे होता, क्यों होता इस का जबवाब आज हम देगे ,रिवाज और प्रथाओं के नाम पर अमानवीयता तो आये दिन सामने आती है,  खतना  नाम की

यह प्रथा अत्यंत क्रूर और अमानवीय ही नहीं वरन उस समाज और देश के कानून और संविधान की भी खिल्ली उडाता नज़र आता है। महिलाओं और पुरुष दोनों में खतना होता है।

चार से -आठ वर्ष की छोटी बच्चिओं के गुप्तांगो की सुन्नत की यह प्रथा मुस्लिम बोहरा मुस्लिम समुदाय के औरतों के लिये अभिशाप बन चुकी हैं।  कुछ औरतें उसके हाथ-पैर पकड़ेंगी और एक मुल्लानी उसके गुप्तांग का

                                                                                                                                                                 

एक हिस्सा (क्लाइटोरल हुड) काट देती है । स्त्रियों का खतना करने का यह रिवाज वैसे तो अफ्रीकी देशों में है,लेकिन इसका प्रचलन भारत के कुछ हिस्सों में भी है। अफ्रीका महाद्वीप के मिस्र, यूगांडा,केन्या ,इरीट्रिया जैसे दर्जनों देशों में यह परंपरा सदियों से हो रही है।

लड़की के खतना में जिस अंग को छील कर हटाया जाता है ..दरअसल वह अंग ही स्त्री की मासिक धर्म और प्रसव पीड़ा को कम करने का काम करता है..मासूम बच्चियां कई महीने तक दर्द से छटपटाती रहती हैं.लड़कियों का खतना होने के बाद उनके जननांगों में संक्रमण होने से बहुत से बच्चियों की मौत तक हो जाती है। कई लड़कियां मासिक धर्म के दौरान बहुत दर्द महसूस करती हैं। खतने का दुष्परिणाम ये निकलता है कि शादी के बाद पति से भी सेक्स संबंध बनाने में लड़की की रूचि कम हो जाती है,क्योंकि सहवास के दौरान उसे बहुत कष्ट होता है |

                                                                                                                                          

यह भाग वास्तव में एक घुंडी होती है, जिसका कार्य ठीक वही होता है जो पुरुष जननांग की बढ़ी हुई चमड़ी का होता है। इसके कारण सहवास का माधुर्य बढ़ता है। यह खतना कई तरह से किया जाता है। कुछ लोगों का पूरा क्लाइटोरल हुड काटा गया था, और कुछ का सिर्फ चुना गया था। सबसे पहले इस प्रथा का विवरण हमें रोमन साम्राज्य और मिस्र की प्राचीन सभ्यता में मिलता है। मिस्र में फिरऔन के काल से ही इसका प्रचलन माना जाता है। वहा के संग्रहालयों में ऐसे अवशेष रखे हैं, जो इस प्रथा की पुष्टि करते हैं।

बिना बेहोश किए उस्तरे, चाकू या कांच से काट दी जाती है दुनियाभर मे हर साल खून से लथपथ और दर्द से कराहतीं तीन लाख से भी ज्यादा बचियाँ इस कु प्रथा की बली चढ़ जाती हैं।130 लाख से भी ज्यादा महिलाएं यह दर्द झेल चुकी हैं।

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